जब तुम अपनी आवाज़ में अपनी उदासी छिपा रही होती हो
मैं बिलकुल वहीं उसी आवाज़ में कहीं बैठा उदास हो रहा होता हूँ।
इस तरह हम दोनों लगभग एक साथ उदास होने लगते हैं।
इस उदास होने को हम किसी काम की तरह करते
हम दोनों इसी की बात करते
कि उदास होने से पहले और उदास हो जाने के बाद हम क्या-क्या करेंगे।
बात उदासी से शुरू होकर उदासी तक जाती
कोई ऐसी बात नहीं थी जिसमे हम इसे ढूँढ नहीं लेते थे
एक दूसरे पर नाराज़ भी होते कि इस उदासी के मिलने की बात पहले नहीं बताई
कई झगड़े इसी उदासी पर होते और हम एक बार फ़िर उदास हो जाते।
जब कई दिन बीते उदास नहीं हो पाते इसे कहीं से भी ले आते
और फ़िर उदास हो आते।
उदासी हम दोनों का स्थायी भाव होती गयी
हम दोनों स्थायी उदास होते गए
इस अदला-बदली के बावजूद हम दोनों उदास थे।
जैसे अभी उदास हैं
के उदासी के अलावा कोई और शब्द नहीं मिला जिस पर उदास हो सकें।
kya baat hai is udaasi ki...
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